बिहार में 47 साल से नहीं हुई प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर्स की बहाली, तीन गुना बढे अस्थायी शिक्षक

एक ओर जहाँ बिहार के सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की लगातार भर्ती की जा रही है। वहीँ राज्य के सरकारी उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की जबरदस्त कमी देखने को मिल रही है।
पिछले कुछ सालों के अंदर इनकी संख्या लगातार घटती जा रही है। ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (एआइएसएचइ) की हालिया रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। आईये जानते है पूरी खबर।
रीडर और एसोसिएट प्रोफेसरों की संख्या में लगातार कमी
दरअसल बिहार के कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में रीडर और एसोसिएट प्रोफेसरों की संख्या में लगातार कमी हो रही है। ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (एआइएसएचइ) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018-19 में इनकी संख्या 4134 थी।
साल 2021-22 में इनकी संख्या घट कर 3691 रह गयी। इससे यह स्पष्ट है कि हर साल 100 रीडर्स और एसोसिएट प्रोफेसर्स घट रहे हैं। साल 2022-23 में इनकी संख्या और भी कम हुई है।
बिहार में 4000 असिस्टेंट प्रोफ़ेसर की कमी

कुछ ही महीनों के अंदर इसके आंकड़े सामने आने वाले हैं। इधर राज्य के परंपरागत विश्वविद्यालयों में लगभग 4000 असिस्टेंट प्रोफ़ेसर की कमी है। ऐसे में बिहार की उच्च शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई की बात बेमानी होती दिखाई दे रही है।
एआइएसएचइ रिपोर्ट की माने तो राज्य में प्रोफेसर्स की संख्या कुछ हद तक बढ़ती हुई नजर आ रही है। नाम मात्र की इस बढ़त के पीछे का कारण कैरियर एडवांसमेंट स्कीम के जरिए किए जा रहे प्रमोशन है।
बिहार में 47 साल से नहीं हुई प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर्स की भर्ती
बिहार में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर्स के पद पर सीधी भर्ती हुए 47 साल से अधिक का समय बीत चुका है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 1977 के बाद इन दोनों पदों के लिए सीधी भर्ती नहीं हुई हैं।
बता दे की पिछले वर्ष प्रोफेसर ओर एसोसिएट प्रोफेसर्स की सीधी नियुक्ति के लिए शिक्षा विभाग ने फाइलों पर कुछ प्रयास शुरू किये थे। लेकिन हालात ऐसे हैं कि अभी तक उसकी नियमावली भी तैयार नहीं की जा सकी है।
राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के जरिए इन पदों पर नियुक्ति करवाई जानी थी। अब इसका प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया है।
तीन गुना बढ़ गई अस्थायी शिक्षकों की संख्या
शिक्षकों की इस कमी के वजह से ही बिहार में पिछले पांच साल में अस्थायी शिक्षकों की संख्या लगभग तीन गुनी तक बढ़ चुकी है। एआइएसएचइ 2021-22 की हालिया आंकड़ों के मुताबिक उच्च शिक्षण संस्थाओं में अस्थायी शिक्षकों की संख्या वर्ष 2017-18 में 550 थी।
2021-22 में यह संख्या तीन गुनी से भी ज्यादा 1703 हो गयी है।
इस तरह घटती गयी रीडर और एसोसिएट प्रोफेसर की संख्या
शैक्षणिक सत्र 2018-19 में इनकी संख्या 4134 थी, 2019-20 में 4093 , 2020-21 में 3761 और 2021-22 में 3691 रह गयी।
इस तरह बढ़ती गयी अस्थायी शिक्षको की संख्या
शैक्षणिक सत्र 2017-18 में अस्थायी शिक्षकों की संख्या 550 थी, 2018-19 में यह 670 हो गयी। 2019-20 में 919, 2020-21 में 1228 और 2021-22 में अस्थायी शिक्षकों की संख्या 1703 हो गयी।
बिहार में उच्च शिक्षा में गुणवत्ता दूर की कौड़ी साबित
बिहार की राजधानी स्थित पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं शिक्षाविद प्रो एलएन राम ने कहा कि- ” प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की सीधी नियुक्ति 1974 के बाद से नहीं हुई है। कुछ पद जो बढ़े दिख रहे हैं, वह प्रमोशन से भरे हैं।
शिक्षकों की कमी से अकादमिक गतिविधियां सीधे तौर पर प्रभावित हुई हैं। हालात यह है कि जिन्हें अभी पढ़ाते हुए 20 साल हुए हैं, उन्हें विश्वविद्यालयों में हेड ऑफ डिपार्टमेंट और सीनियर पदों पर बिठाया जा रहा है।
जाहिर है कि आप के पास योग्य और अनुभवी शिक्षक नहीं हैं। शिक्षा विभाग को शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार को दूरदर्शिता पूर्ण और स्पष्ट रणनीति बनाना चाहिए। अन्यथा उच्च शिक्षा में गुणवत्ता दूर की कौड़ी साबित होगी।”
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