|

Textile Park In Bihar: बिहार के इस जिला में बन रहा है टेक्सटाइल पार्क, मिलेगा रोजगार; जाने लोकेशन

Textile Park In Bihar

Textile Park In Bihar: रोजगार के तलाश में बिहार के लोगों को दूसरे राज्य में पलायन करना होता है। लेकिन आज के इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसी खुशखबरी देने जा रहे हैं जिससे आपको रोजगार बिहार में ही मिल जाएगी।

बिहार के गया जिले में टेक्सटाइल पार्क का निर्माण किया जा रहा है। जिसका निर्माण कार्य बहुत तेजी से चल रहा है। मानपुर प्रखंड के शादीपुर गांव में 23 एकड़ जमीन पर बाउंड्री बनाने का कार्य काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है।

टेक्सटाइल पार्क बनाने का मुख्य उपदेश

जानकारी के लिए आपको बता दे की इस पार्क का निर्माण महाराष्ट्र और तमिलनाडु के जैसे इंटीग्रेटेड टैक्सटाइल पार्क के जैसा किया जा रहा है। इसके बन जाने के बाद बिहार के लोगों को रोजगार के मौके प्राप्त होंगे।

इस टेक्सटाइल पार्क में मुख्य रूप से आधुनिक कपड़े बनाए जाएंगे। इसे बनाने के पीछे सरकार की सबसे बड़ी मकसद है कि मानपुर के पटवा टोली में चल रहे कपड़ा उद्योग को बढ़ावा देना साथ ही साथ पावर लूम, हैंडलूम सहित टेक्सटाइल के पूरे उद्योग को एक स्थान पर स्थापित करना।

Textile Park In Bihar

मेनचेस्टर ऑफ़ बिहार से मशहूर

आपको बताते चलें कि मैनचेस्टर आफ बिहार के नाम से पूरे विश्व में प्रसिद्ध है बिहार के गया जिले का पटवा टोली, यहां पर लगभग 2000 हैंडलूम और 125000 पावर लूम के जरिए कपड़ा का बुनाई का कार्य किया जाता है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बात करें तो यहां के हर एक लोग में बुनाई के प्रतिभा है।

अभी तक पटवा टोली में इस उद्योग से लगभग 35 हजार से 40 कामगारों और श्रमिकों को रोजगार मिल चुका है। जानकारी के लिए आपको बता दे की इंटीग्रेटेड टैक्सटाइल पार्क को जमीन उद्योग विभाग के द्वारा सौप दी गई है। अब आगे का निर्माण कार्य विभाग के द्वारा किया जा रहा है।

पूरे भारत में होती है कपड़े की सप्लाई

पटवा टोली के कपड़ों के पूरे भारत में सप्लाई की जाती है दूर-दूर के दुकानदार का कांटेक्ट यहां के लोगों से होता है मार्केट में जमकर यहां के कपड़े की खरीदी होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार बात करें तो यहां निर्मित कपड़ों की खपत लगभग 60% पश्चिम बंगाल 15% असम और झारखंड उड़ीसा और बिहार में होती है।

जानकारी के लिए आपको बता दे कि यहां पर प्रत्येक साल लगभग 400 करोड रुपए का कारोबार किया जाता है। हर साल 35000 लोगों से भी अधिक को रोजगार की प्राप्ति होती है। मगर ताजा रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल इस समय धीरे-धीरे इस उद्योग से लोग काम जुड़ रहे हैं।

यह भी पढ़िए:2024 में बदल जाएगी बिहार के इस स्टेशन की तस्वीर, यात्रियों को मिलेगा हाईटेक सुविधा