बिहार: संगीत की दीवानगी में इस शख्स ने घर को बना दिया म्यूजिक म्यूजियम, नही देखा होगा संगीत का ऐसा पागलपन

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इस दुनिया में भांति-भांति के लोग पाये जाते है। सबकी एक अलग कला एक अलग पसंद होती है। वैसे ही गीत-संगीत के भी कई दीवाने इस जहान में है, लेकिन मुजफ्फरपुर के शेरपुर के रहने वाले यशवंत पराशर जैसा संगीत प्रेमी कम ही मिलेंगे।

संगीत के दीवानापन

यशवंत पराशर को संगीत का इतना दीवानापन है की उन्होंने संगीत प्रेम में अपने घर को ही संगीत संग्रहालय में बदल दिया। उन्होंने अपने घर में संगीत से जुड़े सारे इंस्ट्रूमेंट, सीडी, कैसेट आदि एकत्र कर रखे है।

कुछ ऐसे वाद्य यंत्र भी इनके घर में देखने को मिल जाएंगे जो अब बाजार में दिखते ही नही हैं। चाहे फिर वह हाथ से चलने वाला ग्रामोफोन हो या संगीत के शुरुआती समय का साउंड सिस्टम। साथ ही यशवंत के घर पर बने म्यूजिक लाइब्रेरी में आरपीएम के हजारों पीस कैसेट उपलब्ध है।

यशवंत बताते है कि उनको अच्छा संगीत सुनना बहुत पसंद है और उन्होंने उनकी अच्छा संगीत सुनने की पसंद के लिए अच्छा साउंड सिस्टम खरीदते गए। जिससे उनके पास संगीत का ,यंत्रों का संग्रह होता चला गया।

संगीत में यशवंत पराशर की रूचि बहुत पुरानी है। उन्होंने बताया की 1980 से ही उन्होंने कैसेट और उपकरण इकट्ठा करना शुरू कर दिया था। उन्होंने कभी नहीं सोचा था की उन्हें यह संग्रह तैयार करना है। लेकिन संगीत में रूचि के कारण वे कैसेट और एलपी रिकॉर्ड खरीदते गए और समय के साथ देखते-देखते उनके पास इतना बड़ा संग्रह बनकर तैयार हो गया। तब से लेकर आज तक उनका यह संग्रह लगातार जारी हैं।

दस हजार से भी ज्यादा कैसेट संग्रह है लाइब्रेरी में

वह बताते हैं कि संगीत के डिजिटल मीडियम को छोड़कर उनके पास कैसेट, सीडी और एलपी रिकॉर्ड के 10 हजार से अधिक कैसेट है। जिसमे सबसे ज्यादा संख्या भारतीय शास्त्रीय संगीत की है। साथ में विदेशी संगीत और पॉप म्यूजिक का भी बड़ा संग्रह उनके पास मौजूद है। यशवंत बताते है कि लोकगीत के भी कई संग्रह उनकी लाइब्रेरी मिल जायेंगे।

1940 का इंग्लैंड मॉडल ग्रामोफोन भी मिल जाएंगा देखने

शास्त्रीय संगीत में भी यशवंत की खास रुचि रही है। जिसके कारण उन्होंने शास्त्रीय संगीत के इंस्ट्रूमेंट संग्रह पर ज्यादा ध्यान दिया। डिजीटल और कैसेट से पहले मिलने वाले एलपी रिकॉर्ड का भी एक बड़ा संग्रह यशवंत के पास है। यशवंत बताते है कि उनके पास इस संग्रह में 1940 का बना ग्रामोफोन भी है, जो की इंग्लैंड मॉडल है। इसके साथ में 1960 के वक्त का ट्रांजिस्टर भी उनके पास उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि दौर के साथ साथ संगीत में कई बदलाव होते आए है और उन्होंने बस इसे सहजेने का प्रयास किया है।

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