Bihar Teacher News: क्या बिहार के नियोजित शिक्षकों को मिलेगा राज्यकर्मी का दर्जा? जानिए सीएम नितीश के बैठक में क्या हुआ?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षकों के विभिन्न मुद्दे पर महागठबंधन के घटक दलों के साथ शनिवार को एक बैठक की। जिसके बाद सीएम आवास से बाहर निकले विधायक बैठक को लेकर काफी संतुष्ट दिखे।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिक्षकों की मांगों को पूरा करने की दिशा में लग चुके हैं। तो आईये जानते है की सीएम नितीश कुमार के बैठक में क्या हुआ और क्या बिहार के नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा मिलेगा?
शिक्षक नियुक्ति से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर हुई चर्चा
बिहार शिक्षक नियुक्ति के मसले पर शनिवार को शाम चार बजे मुख्यमंत्री आवास पर बैठक शुरू हुई। जिसमें शिक्षक नियुक्ति से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक के दौरान महगठबंधन की पार्टियों के साथ ही संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर और शिक्षा विभाग (Education Department) के अपर मुख्य सचिव केके पाठक भी शामिल हुए।
ये बैठक लगभग दो घंटे तक चली। वहीँ इस बैठक से निकलने के बाद नेताओं ने कहा कि – “सीएम को विस्तार से सभी मुद्दों की जानकारी दी है। हम लोग सीएम से बातचीत के बाद संतुष्ट हैं। मुख्यमंत्री जी जल्द ही विषय में फैसला लेंगे। शिक्षकों की मांग जल्द पूरी हो जाएगी।”
क्यों शिक्षक कर रहे विरोध?
दरअसल, राज्य में बिहार लोकसेवा आयोग के माध्यम से 1 लाख 70 हजार शिक्षकों की बहाली होने जा रही है। नियोजित शिक्षकों को भी राज्यकर्मी का दर्जा प्राप्त करने के लिए बीपीएससी द्वारा अगस्त में आयोजित होने वाली बिहार शिक्षक भर्ती परीक्षा (BPSC Teacher Exam Schedule 2023) देनी है।
इसके साथ ही शिक्षक नियुक्ति में डोमिसाइल नीति भी लागू की गई है जिसके तहत राज्य के बाहर के लोग भी इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं। ऐसे में बिहार के मौजूदा शिक्षक इसी नई नियमावली का विरोध कर रहे हैं। इसको लेकर कई बार विरोध किया गया है।
क्या है शिक्षक संघों की मांग?
- सरकार पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) लागू करे।
- नियोजित शिक्षकों को बिना शर्त मिले राज्यकर्मी का दर्जा।
- बिहार में पुरानी डोमिसाइल नीति (Domicile Policy) लागू हो।
- शिक्षकों को सामान काम का सामान वेतन मिले।
क्या शिक्षकों को मिलेगा राज्य कर्मियों का दर्जा?
बैठक से बाहर निकलने के बाद माले विधायक महबूब आलम ने कहा कि – “मुख्यमंत्री ने सभी शिक्षकों की मांग को सुना।” महबूब आलम के अनुसार मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि – “शिक्षकों के संबंध में आपलोगों को चर्चा के लिये बुलाया है। जहां तक शिक्षक नियुक्ति या अन्य किसी भी नियमावली में विसंगतियां है, तो उसे दूर किया जाएगा।”
महबूब आलम ने कहा कि – “शिक्षकों को राज्य कर्मियों का दर्जा देने की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिया गया है। जल्द ही इस पर भी निर्णय होगा।
इसके साथ ही, शिक्षक के मामले में सभी तरह के शिक्षकों के यानी उर्दू शिक्षक, टोला शिक्षक सहित सभी शिक्षक की नियुक्त नियमावली मामले विसंगितयों को दूर किया जाएगा।”
प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर हो शिक्षकों की नियुक्ति: कांग्रेस
वहीं इस बैठक में उपस्थित बिहार कांग्रेस विधायक दल के नेता डॉ शकील अहमद खान ने कहा कि – “शिक्षकों की नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर कराने पर कांग्रेस ने अपनी सहमति जताई है। स्कूलों में योग्य शिक्षकों की आवश्यकता है। विद्यालयों में शैक्षणिक गतिविधि का माहौल बने। इस पर किसी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए।”
उन्होंने आगे बताया कि – “नियोजित शिक्षकों को सरकारी सेवक के दर्जा देने पर मुख्यमंत्री का रूख सकारात्मक था। इसके लिए मुख्यमंत्री अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं। सरकारी सेवक का दर्जा देने की एक प्रक्रिया है। उस प्रक्रिया पर मुख्यमंत्री अधिकारियों से बात कर रास्ता निकाल सकते हैं।
इससे राजकोष पर अधिक बोझ भी नहीं बढ़ेगा। बिहार में चार-पांच लाख शिक्षक हैं उनके हितों की चिंता सभी दलों और मुख्यमंत्री को खुद है। मुख्यमंत्री ने खुद बैठक में बताया कि उन्होंने नियोजित शिक्षकों के वेतनमान और सेवा शर्तों में कितना सुधार किया है।”