Mithila Mango Festival: बिहार का अनोखा महोत्सव, मुख्यमंत्री, जमींदार, दामाद और बहु पर आम के नाम

Mithila Mango Festival

बिहार में फलों के राजा कहे जाने वाले आम का एक अनोखा महोत्सव मनाया गया। जहाँ परोसे जाने वाले इन आमों को इनके पारम्परिक नामों से हटकर कुछ ख़ास नाम दिए गए, जो फिलहाल चर्चा का विषय बने हुए है।

आम के ऐसे नाम सुनकर आप भी सोच में पड़ सकते है की भला ये भी कोई नाम है? लेकिन ये बिहार है भैया यहाँ हर चीज ख़ास ही होती है चाहे बात ‘आम’ की ही क्यों न हो। आईये जानते हैं इन ख़ास आम की किस्मों के बारे में……….

Mithila Mango Festival का हुआ आयोजन

बउआसिन भोग और पाहुन पदौना ये नाम सुनकर आपको यही लग रहा होगा कि शायद कोई मज़ाक कर रहा है, लेकिन बिहार के मधुबनी ज़िले में एक अनोखे आम उत्सव का आयोजन किया गया, जहाँ ऐसी ही दर्ज़नों किस्में प्रदर्शित की गईं।

बउआसिन भोग, जिसे दुल्हन के सुँदर चेहरे के नाम पर रखा गया है। बिहार के मिथिला क्षेत्र में व्यापक रूप से बोली जाने वाली मैथिली भाषा में बहू को बउआसिन कहा जाता है। इसके अलावा, आम की एक और किस्म का नाम सुँदर पसँद इसलिए रखा गया है क्योंकि यह देखने में काफी सुँदर है।

Mithila Mango Festival was organized at Sarisab-Pahi in Madhubani
मधुबनी के सरिसब-पाही में मिथिला मैंगो फेस्टिवल का आयोजन किया गया
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दरअसल गंगानाथ पब्लिक लाइब्रेरी की तरफ से 10 जून और 11 जून को मिथिला मैंगो फेस्टिवल का आयोजन किया गया। इस मैंगो फेस्टिवल में आम की कुल 167 किस्में देखी गईं, जो दरभंगा, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, गया और पटना जैसे दर्जनों जिलों में होती है। मिथिला मैंगो फेस्टिवल का आयोजन मदन झा और अमल झा नाम के दो आम प्रेमियों द्वारा किया गया था।

अनूठी आम विरासत की ख़ोज

मदन झा ने मीडिया को बताया, “मधुबनी के सरिसब-पाही में मिथिला मैंगो फेस्टिवल न केवल स्वादिष्ट फल का जश्न मनाता है, बल्कि आर्थिक विकास, पर्यटन को बढ़ावा देने और पारंपरिक कृषि पद्धतियों के संरक्षण के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में भी काम करता है।”

उन्होंने आगे कहा की “यह एक ऐसा आयोजन है जो मिथिलांचल क्षेत्र की अनूठी आम विरासत की ख़ोज में रुचि रखने वाले आम के शौकीनों, पर्यटकों और व्यक्तियों को आकर्षित करता है। हर एक आम की अपनी अलग ख़ासियत होती हैं, जिसमें स्वाद, सुगंध, रंग और आकार में अंतर शामिल है। “

कार्यक्रम के आयोजक मदन झा ने कहा, “मैंगो फेस्टिवल में शामिल होने वाले लोगों को एक ही सभागार में आम की 167 किस्मों को देखने का मौका मिला – एक ऐसा अनुभव जो अद्वितीय है।”

पाँच मिनट में खा लिए 21 आम

आम के इस त्योहार के दौरान लोगों का उत्साह बढ़ाने के लिए एक प्रतियोगिता भी आयोजित की गई थी। “5 मिनट में कितने आम खाए जा सकते हैं, इस पर हमने जो प्रतियोगिता आयोजित की थी, उसमें कई लोगों ने भाग लिया। विजेता ने पाँच मिनट में 21 आम खा लिए।” आयोजक ने कहा।

Farmers participated in Mithila Mango Festival
मिथिला मैंगो फेस्टिवल में किसानों ने भाग लिया
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आम की कुछ अन्य पारंपरिक किस्मों जैसे पिलुआहा, ज़मींदार, मुख्यमंत्री भोग, लक्ष्मेश्वर भोग, गुलाब खास, हीरा दागी, शाह पसंद, फैजिली और दुर्गा भोग को भी प्रदर्शित किया गया। यह दो दिन का कार्यक्रम, यहाँ आने वाले लोगों के लिए विभिन्न किसानों और वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करने के लिए एक मंच के रूप में काम करता है।

आमों के अनोखे नाम

मेले में शामिल पूर्णिया ज़िले के किसान और ब्लॉगर गिरींद्र नाथ झा बताते हैं कि वे जो आम लेकर आए थे, उन्हें ‘बीजू आम’ कहा जाता है। उन्होंने आगे बताया की, “इनमें आम के बीज (बीज इसलिए बीजू कहलाते हैं) खेत में बिखर जाते हैं और ये बीज आम के पेड़ों को जन्म देते हैं।”

उन्होंने इन आमों के अजीब नामों के बारे में भी बात की और कहा, “हमारी पिछली पीढ़ी ने लगभग एक दशक पहले आमों को ये अनोखे नाम दिए थे। आमों के अनोखे नाम उनके समृद्ध और विविध इतिहास के कारण रखे गए थे जो किसानों और उनके गाँवों के पूर्वजों के समय से हैं।

किसान ने यह भी कहा कि ये आम पूरी तरह से जैविक हैं और शुरुआती चरणों में इसमें ग्राफ्टिंग तकनीक शामिल नहीं है।

आम की खेती की विभिन्न तकनीकों पर भी हुई चर्चा

मिथिला मैंगो फेस्टिवल के सह-आयोजक अमल झा ने कहा, “इस तरह का त्योहार 2022 से पहले यहाँ कभी नहीं हुआ और इसलिए हमने किसानों और वैज्ञानिकों को आम की किस्मों, इसे उगाने में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकों और इसे बनाने के बारे में चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करने के बारे में सोचा।”

इस अनोखे आम उत्सव में लगभग 30-35 किसानों ने भाग लिया। उनमें से प्रत्येक कम से कम पाँच प्रकार के आम लाए। मिथिला मैंगो फेस्टिवल में आमों के प्रदर्शन के अलावा आम की खेती की विभिन्न तकनीकों पर भी चर्चा हुई।