पूर्णिया के 5 प्राचीन और अनोखे मंदिर, यहां मात्र झाड़ू लगाने से बनता है बिगड़ा काम, महिमा जानकर आप भी होंगे हैरान

हमारे वैदिक सनातन धर्म शास्त्रों के अनुसार पूजा पाठ का विशेष महत्व है और भगवान के प्रति श्रद्धा रखने वाले हर व्यक्ति को मंदिर जाकर भगवान के पूजा व दर्शन जरूर करने चाहिए।
क्योंकि मंदिरों में देवी देवताओं का वास होता है और यहां जाने मात्र से मन को शांति मिलती है और हमारी परेशानियां कम हो जाती है। आज इस पोस्ट में हम आपको बिहार के पूर्णिया में स्थित कई ऐसे ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिरों के बारे में बताएंगे जहां न केवल बिहार बल्कि देश के अलग-अलग राजू और विदेशों से भी श्रद्धालु आते है।
पूर्णिया स्थित काली मंदिर
पूर्णिया में स्थित काली मंदिर एक अत्यंत प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है , ये मंदिर सोन नदी के तट पर स्थित है, और लगभग 250 साल पुराना है यहां ऐसी मान्यता है कि अमावस्या तिथि को इस मंदिर में विशेष पूजा पाठ और अनुष्ठान करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस मंदिर में बिहार बंगाल उड़ीसा और नेपाल से श्रद्धालु भक्तगण पूजा पाठ करने के लिए आते हैं।
मां कामाख्या मंदिर
पूर्णिया में माजरा पंचायत में स्थित मां कामाख्या का एक बहुत प्राचीन मंदिर है स्थानीय लोगों की माने तो यह मंदिर लगभग 400 सालों से भी अधिक पुराना है और ऐसी मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति को कुष्ठ रोग या चर्म रोग है तो इस मंदिर में मात्र झाड़ू लगाने से ही यह रोग ठीक हो जाता है।
पूर्णिया का माता स्थान मंदिर
बिहार के पूर्णिया जिले में स्थित प्राचीन मंदिरों में से एक एक मंदिर पूर्णिया का माता स्थान मंदिर भी है जो लगभग 500 वर्षों पुराना है और यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आकर मन्नत करते हैं।
और अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर यहां विशेष पूजा पाठ करते हैं बता दे कि इस मंदिर में सुबह से लेकर शाम तक भक्तों का ताता लगा मंदिर पूर्णिया के चूनापुर में स्थित है।
चौमुखी शिवलिंग महादेव मंदिर
पूर्णिया में पूरन देवी माता मंदिर के ठीक दाहिनी ओर महादेव का चौमुखी रूप विराजमान है। और पूर्णिया के इस चौमुखी शिवलिंग महादेव मंदिर की स्थापना हट्टीनाथ नाम के एक महात्मा के द्वारा की गई थी यह मंदिर लगभग 600 वर्षों से अधिक पुराना है और दूर दराज के लोग आकर यहां पूजा अर्चना करते हैं।
माता पूरन देवी मंदिर
पूर्णिया स्थित माता पूरन देवी मंदिर किसी परिचय का मोहताज नहीं है यह मंदिर हिंदू मुस्लिम तहजीब का प्रतीक है, और इस मंदिर के नाम पर ही पूर्णिया का नाम भी पड़ा है । ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर के लिए जमीन मुस्लिम संप्रदाय के शौकत अली नाम के नवाब ने दी थी।
और संतान सुख प्राप्त करने के लिए भक्त यहां आकर मनौती करते हैं और पूर्ण होने पर धूमधाम से पूजा अर्चना करवाते हैं इस मंदिर में देश,विदेश से लोगों का आना जाना लगा रहता है।