बिहार में जाता चक्की से 20 महिलाओं को रोजगार, चने का सत्तू अब दूकान से मॉल तक हो रही सप्लाई

बिहार के कटिहार जिले में कुछ महिलाएं मिलकर महिला सशक्तिकरण का बेहतरीन उदाहरण पेश कर रही हैं। इन्होंने घर के काम-काज से समय निकालकर परिवार चलाने में भी आर्थिक मदद कर अन्य महिलाओं को मोटिवेट करने का काम किया है।
दरअसल, कटिहार के चांदपुर टीकापट्टी में यस कृति राज चना सत्तू 80 के दशक की तर्ज पर उधोग चला रही है। ये महिलाएं पत्थर की जाता चक्की से पीसकर कुटीर उद्योग चला रही है। उद्योग से जुड़ी टीकापट्टी गांव की महिला पलक कुमारी ने बताया कि इस उद्योग से प्रतिदिन डेढ़ सौ किलो चना का सत्तू तैयार किया जाता है, जिससे रोजाना 20 महिलाओं को रोजगार मिल रहा है ।
1 लाख की लागत से हुई शुरुआत

कुटीर उद्योग से जुड़ी इन महिलाओं को प्रतिदिन 250 से 300 रुपये मेहनताना भी मिल रहा है। महिलाओं को जाता चलाने में कठिनाई न हो इसके लिए 10 जाता चक्की में बॉल बेरिंग चकरी लगाया गया है। इस कुटीर उद्योग की शुरुआत में कुल 1 लाख की लागत से प्रारंभ किया गया है।
ससुराल में सास से मिली प्रेरणा
फलक ने बताया कि जब वे शादी के बाद ससुराल टिका पट्टी गांव में रहने लगी तो उनकी सास खुद के उपयोग के लिए जाता चकरी से चना सत्तू तैयार करती थी। उनका मानना था कि आधुनिक मील में पीसा हुआ सत्तू का स्वाद तो फीका होता ही है।
साथ ही साथ उस में प्रोटीन की मात्रा भी नहीं के बराबर होती है। इस कारण ऐसा सत्तू सेहत के लिए फायदेमंद नहीं रह जाता है, लेकिन जाता में पिसा हुआ सत्तू स्वाद एवं सेहत के दृष्टिकोण से काफी बेहतर होता है ।
ग्रामीण महिलाओं को मिल रहा रोजगार

सत्तू की बढ़ती मांग को लेकर ऐसा देखा जा रहा है की अब घर से लेकर सभी रिश्तेदार भी जाता चकरी से पिसा हुआ चना का सत्तू के स्वाद का आदी हो गए हैं। इसी वजह से परिवार के सदस्यों के बीच सलाह मशवरा कर योजनाबद्ध तरीके से उन्होंने कुटीर उद्योग लगाने का मन बना लिया।
इसके बाद 21 जनवरी 2022 से विधिवत पूजन कर कुटीर उद्योग का श्रीगणेश कर दिए। धीरे-धीरे उन्होंने इस उद्योग में गांव समाज की वैसी महिलाओं को भी जोड़ना प्रारंभ कर दिया जो स्वावलंबी बनना चाहती थी।
समय के साथ बढ़ने लगी मांग

पलक के अनुसार फिलहाल अभी शुरूआती दौर में बाजार में चना सत्तू बेचने में काफी कठिनाई हो रही है। बाजार में मिलावटी सत्तू कम दरों पर मिलने के कारण ग्राहकों को सत्तू की गुणवत्ता समझा कर बेचना पड़ रहा है।
जाता चकरी से तैयार सत्तू अपनी लागत मूल्य के साथ 150 रुपये प्रति किलो ग्राहकों के लिए बाजार में उपलब्ध है। जैसे-जैसे ग्राहकों के बीच सत्तू की गुणवत्ता पहुंच रही है। समय के साथ इसकी मांग भी बढ़ने लगी है।
फिलहाल ऐसा चना सत्तू कटिहार पूर्णिया एवं भागलपुर के छोटे-छोटे दुकानों एवं मॉल में थोक दरों पर बिक्री किया जा रहा है। पलक बताती है कि अभी वो सिर्फ चना सत्तू के उद्योग को बाजार में बढ़ावा दे रहे हैं, लेकिन आने वाले समय में गेहूं के आटा, चना का बेसन एवं सभी तरह का मसाला का भी कुटीर उद्योग के तहत जाता चकरी से तैयार कर बाजारों में उपलब्ध कराएंगे।